नाद का स्वाद लिया समझा वो
जीवन का क्या अर्थ है
मत पूछो मुख से कुछ भी तुम
कहना सुनना व्यर्थ है
आहत तो अनिवार्य नहीं है
अनाहत से जीवन है
सुन ले तू अनाहत की आहट
बिन कानों के शर्त है
नाद का स्वाद लिया समझा वो
जीवन का क्या अर्थ है
मत पूछो मुख से कुछ भी तुम
कहना सुनना व्यर्थ है
आहत तो अनिवार्य नहीं है
अनाहत से जीवन है
सुन ले तू अनाहत की आहट
बिन कानों के शर्त है
फ़िक्र दुनिया तुझे सताती क्यूँ है
इस तरह ख़ुद को जलाती क्यूँ है
हम तो जी लेंगे तरीके अपने
यूँ ज़माने को रुलाती क्यूँ है
छोड़ जाना है एक दिन तो बता
पास अपने तू बुलाती क्यूँ है
दिन गए जो बात कर उनकी
मखमली याद दिलाती क्यूँ है
हाथ छूटे हैं जबसे सोचता हूँ
दोस्ती हाथ मिलाती क्यूँ है
किसी बच्चे ने माँ से पूछ लिया
मुझको तू दूध पिलाती क्यूँ है
ज़रा संभल के चल यहां
फ़रेब आज़माएगा
जो दिल किसी को दे दिया
तो फिर ना हाथ आएगा
कहाँ ये लौट कर मिला
जो एक बार दे दिया
बरस गया फ़लक से जो
ना फिर फ़लक पे आएगा
ज़रा संभल के चल यहां
फ़रेब आज़माएगा
ये जंग दिल दिमाग की
ये जंग आब आग की
बुझा बुझा रहेगा तू
जो जंग हार जाएगा
जो दिल किसी को दे दिया
तो फिर ना हाथ आएगा
ज़रा संभल के चल यहां
फ़रेब आज़माएगा
नाद का स्वाद लिया समझा वो जीवन का क्या अर्थ है मत पूछो मुख से कुछ भी तुम कहना सुनना व्यर्थ है आहत तो अनिवार्य नहीं है अनाहत से जीवन है ...