Saturday, May 18, 2024

नाद का स्वाद

नाद का स्वाद लिया समझा वो 
जीवन का क्या अर्थ है 

मत पूछो मुख से कुछ भी तुम 
कहना सुनना व्यर्थ है 

आहत तो अनिवार्य नहीं है 
अनाहत से जीवन है 

सुन ले तू अनाहत की आहट 
बिन कानों के शर्त है 

स्वीकार

जीवन कुछ दिन का है 
कुछ दिन जीवन के हैं 
हम तुम इस जीवन में 
कुछ दिन तक रहते हैं 

इस वक़्त के ताने में 
जीवन के बाने में 
जो प्यार से रह ले वो 
खुशियों में बहते हैं 

कुछ लोग ये कहते हैं 
वो सब कुछ सहते हैं 
कुछ हैं जो सेह कर भी 
कुछ भी नहीं कहते हैं 

ऐसे कुछ लोग भी हैं 
हरदम खुश रहते हैं 
अक्सर औरों से वो 
दिल खोल के मिलते हैं 

Thursday, May 16, 2024

दुनिया

तेरे लफ़्ज़ों में मेरी बात छुपी रहती है 
मैं ही कहता हूँ समझ जब भी तू कुछ कहती है  
मैं कहाँ रहता हूँ मुझको तो कुछ खबर ही नहीं 
तू सदा से ही मगर मेरे दिल मे रहती है 

तुझे जाना है तो जा किसने तुझको रोका है 
तेरा जाना मेरी आँखों के लिए धोखा है 
मैं हूँ सागर तेरा उलफ़त मे इंतज़ार करूं 
तू किसी दरिया सी बस मेरे तरफ बहती है

तू सदा से ही मगर

मुड़ के ना देख देख मुड़ के जिसने देखा है 
वो कभी बढ़ ना सके किसने उनको देखा है 
हर घड़ी कोसने की आदतें हैं दुनिया की 
छोड़ दुनिया की बात दुनिया कुछ भी कहती है 

तू सदा से ही मगर

Tuesday, May 14, 2024

आदतें

आदतें 
नहीं बदलती कभी 
लोग ढल जाते हैं 
पर बदलना गवारा नहीं 

आदतें 
ज़रा सा रुक जाती हैं 
फिर पकड़ ही लेती हैं 
छोड़ कर कभी जाती नहीं 

आदतें 
नई ये होती नहीं 
दिल मे कसक की तरह 
ये नजर कभी आती नहीं 

आदतें 
छूटेगी कैसे भला 
पूछता हूँ मैं इसे 
कुछ भी बतलाती नहीं 

जाएज़ा

हर कोई अच्छा भी है सच्चा भी है और है भला 
एक हम बेज़ार ज़ालिम हैं जहन्नम की तरह 

बस ज़मीं पे कुछ लक़ीरें खींच कर कहते हैं लोग 
अब से ये है मुल्क मेरा, मुल्क वो अबसे तेरा 

है ज़रूरी मुस्कुराना एक गुड़िया की तरह 
आग है हर दिल में बस उठता नहीं कोई धुआँ 

हर कोई चाहता है कहना अपनी अपनी दास्ताँ 
सबके अपने ज़ख़्म अपने दर्द, अपने हैं निशाँ  

कुछ शिकन हो तो इबारत का पता चलता भी है 
मौत है शक्लों पे जिनकी कौन दे उनको दवा 

जाएज़ा अपना लिया महसूस दुनिया से हुआ 
सबकी अपनी है जुबां और सबके अपने हैं बयान 

Monday, May 13, 2024

दूध

फ़िक्र दुनिया तुझे सताती क्यूँ है 

इस तरह ख़ुद को जलाती क्यूँ है 

हम तो जी लेंगे तरीके अपने 

यूँ ज़माने को रुलाती क्यूँ है 


छोड़ जाना है एक दिन तो बता 

पास अपने तू बुलाती क्यूँ है 


दिन गए जो बात कर उनकी 

मखमली याद दिलाती क्यूँ है 


हाथ छूटे हैं जबसे सोचता हूँ 

दोस्ती हाथ मिलाती क्यूँ है 


किसी बच्चे ने माँ से पूछ लिया 

मुझको तू दूध पिलाती क्यूँ है 

Saturday, May 11, 2024

ये वक़्त है

ये वक़्त है 
किसे पता 
ये एक लफ्ज़ 
कब का है 

ये वक़्त है 
तुझे मिला 
बस एक दिन 
शब् का है 

ये वक़्त है 
मगर सदा 
निकल चुका 
सब का है 

ये वक़्त है 
ये रास्ता 
बुना हुआ 
रब का है 

तेरी पनाहों में

हँसी .... 
आ ही जाती है 
यूँ चिढ़ाने से 
मुस्कुराने से 
गुदगुदाने से 

आओ खेलें साथ 
ले लें ये आकाश 
अपनी बाहों में 

खुशी ..... 
आ ही जाती है 
मुस्कुराने से 
खिलखिलाने से 
हँसते जाने से 

देख ये रौनक 
बाजे रे ढोलक 
जीवन आँगन में 

मदहोशी ..... 
आ ही जाती है 
तेरे आँचल में 
लेट कर उसमें 
सर छुपाने से 

जोने दे तुझको 
सोने दे मुझको 
तेरी पनाहों में 


Sunday, May 5, 2024

सवाल

छोटी सी बात का यूँ वबाल नहीं होता 
सवाल का जवाब गर सवाल नहीं होता 
कह देते कुछ भी, मलाल नहीं होता 
सवाल का जवाब गर सवाल नहीं होता 

कोई सोचे भी तो कैसे अपने जुर्म की रवानी 
अपनी नज़रों में कोई गुनेहगार नहीं होता 
सवाल का जवाब गर सवाल नहीं होता 

तुम वक़्त लोगे सोचोगे समझोगे फिर कहोगे 
सच तो है दिल की बात में ख़याल नहीं होता 
सवाल का जवाब गर सवाल नहीं होता 

वादों की बात कहकर बात आधी रह गई थी 
इतनी आसानी से ऐसा कमाल नहीं होता 
सवाल का जवाब गर सवाल नहीं होता 

Friday, May 3, 2024

ज़ात

दिन रात में तू है 
काएनात में तू है 
धड़कन में मेरी और 
मेरे जज़्बात में तू है 

सौग़ात में तू है 
मुलाक़ात में तू है 
लफ़्ज़ों में मेरे है तू 
और हर बात में तू है 

एहतियात में तू है 
खुराफ़ात में तू है 
इस ज़िन्दगी की सारी 
ज़रुरियात में तू है 

हयात में तू है 
ज़ेहरियात में तू है 
हर तिनके में हर शय में है 
हर ज़ात में तू है 

Tuesday, April 30, 2024

वेहम

जो हकीक़त है वो ख़ाबों के लिए खोते हैं 
ख़ाब तो ख़ाब हैं पूरे ये कहाँ होते हैं 
असल में खाब का अंजाम ऐसा होता है 
दौड़ते भागते हम जागते न सोते हैं 

ख़ाब तो ख़ाब हैं पूरे ये कहाँ होते हैं 

किसी के हैं बोहोत किसी के ख़ाब थोड़े हैं 
कौन बिखरे हुए ख़ाबों को फिर से जोड़े है 
हर कोई देखता ज़रूर है मगर फिर भी 

ख़ाब तो ख़ाब हैं पूरे ये कहाँ होते हैं 

ख़ाब इक प्यास है हकीक़त से नहीं मिटती 
वो कहानी है जो किसी से भी नहीं मिलती 
ये वेहम उम्र भर हम शाम-ओ सहर बोते हैं 

ख़ाब तो ख़ाब हैं पूरे ये कहाँ होते हैं 

फ़रेब

ज़रा संभल के चल यहां
फ़रेब आज़माएगा
जो दिल किसी को दे दिया
तो फिर ना हाथ आएगा

कहाँ ये लौट कर मिला
जो एक बार दे दिया
बरस गया फ़लक से जो
ना फिर फ़लक पे आएगा

ज़रा संभल के चल यहां
फ़रेब आज़माएगा

ये जंग दिल दिमाग की
ये जंग आब आग की
बुझा बुझा रहेगा तू
जो जंग हार जाएगा

जो दिल किसी को दे दिया
तो फिर ना हाथ आएगा

ज़रा संभल के चल यहां
फ़रेब आज़माएगा

Friday, April 26, 2024

ज़माने

ऐसा क्या देखा मेरी आँखों में 
के बस गए हो मेरी आँखों में 
भला ये किसने कह दिया तुमसे 
चाँद तारे हैं मेरी आँखों में 

बन के दरिया मैं जिसमें मिल जाऊँ 
वो समंदर है तेरी आँखों में 
माना घाटे का मेरा सौदा है 
पर मुनाफ़ा है तेरी आँखों में 

देखते हो जो एक टक तो बता 
ख्वाब कितने हैं मेरी आँखों में 
डर मुझे है के आँख सच ना कहे 
राज़ रहते हैं मेरी आँखों में 

ये जहां देख लिया देख लिया 
कोई जचता नहीं है आँखों में 
हर एक पल नया ज़माना है 
तुम ज़माने हो मेरी आँखों में 

||||| FEMALE
||||| MALE

रूठना तेरा

इस तरह से लूटना तेरा 
दिल को छू जाए रूठना तेरा 
याद रह जाए यूँ मनाने पर
प्यार करने पे टूटना तेरा 

जो सज़ा चाहो वो सज़ा दे दो 
मुझको मंजूर कूटना तेरा 
बेरुखी मुझको करती है मायूस 
अब जरूरी है फूटना तेरा 

दूर जाने की सोचना भी नहीं 
सह न पाऊँगा छूटना तेरा 
सह न पाऊँगा छूटना तेरा 
सह न पाऊँगा छूटना तेरा 

Thursday, April 25, 2024

गँवार

आजकल ख़ुद से ही फ़रार हैं हम 
कहीं मसरूफ़ लगातार हैं हम 
लाख कह लो के तुम नहीं मेरे 
फिर भी तेरे ही बार बार हैं हम 

रूठ कर रुख भी ऐसे मोड़ लिया 
और कहते हो ऐतबार हैं हम 

तुम कहो ना कहो पता है हमें 
तेरे ही दिल में गिरफ़्तार हैं हम 

तेरी नज़रों की खोज लाज़िम है 
इत्तेफ़ाक़न बड़े मक्कार हैं हम 

इस क़दर तेरी बेक़रारी देख 
लोग समझेंगे इंतज़ार हैं हम 

दिल ये दुखता है इस हक़ीक़त से 
तेरी नज़रों में गुनाहगार हैं हम 

देख तफ़्सील से सुकूं से ज़रा 
आईने में तेरा सिंगार हैं हम 

शहर के तौर यहाँ बे ढब हैं 
इन रिवाज़ों में तो गँवार हैं हम 

नाद का स्वाद

नाद का स्वाद लिया समझा वो  जीवन का क्या अर्थ है  मत पूछो मुख से कुछ भी तुम  कहना सुनना व्यर्थ है  आहत तो अनिवार्य नहीं है  अनाहत से जीवन है ...